Not known Details About Shiv chaisa
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देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
अर्थ: हे भगवन, देवताओं ने जब भी आपको पुकारा है, तुरंत आपने उनके दुखों का निवारण किया। तारक जैसे राक्षस के उत्पात से परेशान देवताओं ने जब आपकी शरण ली, आपकी गुहार लगाई।
कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने प्राचीन हनुमान मंदिर में पूजा किया
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
सांचों थारो नाम हैं सांचों दरबार हैं - भजन
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
अर्थ: हे शिव शंकर भोलेनाथ आपने ही त्रिपुरासुर (तरकासुर के तीन पुत्रों ने ब्रह्मा की भक्ति कर उनसे तीन अभेद्य पुर मांगे जिस कारण उन्हें त्रिपुरासुर कहा गया। शर्त के अनुसार भगवान शिव ने अभिजित नक्षत्र में असंभव रथ पर सवार होकर असंभव बाण चलाकर उनका संहार किया था) के साथ युद्ध कर उनका संहार किया व सब पर अपनी कृपा की। हे भगवन भागीरथ के तप से प्रसन्न हो कर उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति दिलाने की उनकी प्रतिज्ञा को आपने पूरा किया।
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
अर्थ: माता मैनावंती की दुलारी अर्थात माता पार्वती जी आपके बांये अंग में हैं, उनकी छवि भी अलग से मन को हर्षित करती है, तात्पर्य shiv chalisa lyricsl है कि आपकी पत्नी के रुप में माता पार्वती भी पूजनीय हैं। आपके हाथों में त्रिशूल आपकी छवि को shiv chalisa in hindi और भी आकर्षक बनाता है। आपने हमेशा शत्रुओं का नाश किया है।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥ शंकर हो संकट के नाशन ।
शिव भजन